परिचय (Introduction)

ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) एक पवित्र एवं शक्तिशाली स्तोत्र है, इस स्तोत्र में देवी ललिता त्रिपुरासुंदरी के एक हजार दिव्य नामों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र ब्रह्मांड की आदिशक्ति की महिमा के बारे में बताता है और भक्त को आत्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है।
यह स्तोत्र ब्रह्माण्डीय चेतना को समझने में हमारी मदद करता है, इसके अलावा यह स्तोत्र शक्ति साधना और भक्तिपथ का अमूल्य मार्गदर्शक है। इस स्तोत्र का पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, और जीवन की सारी कठिनाइयाँ भी दूर हो जाती हैं जिससे हमें जीवन जीने में भी बहुत आनंद आता है। यह स्तोत्र ललिता उपासना का मुख्य स्तम्भ माना जाता है।
7 प्रमुख बिंदु (7 Important Points)
1. ललिता सहस्रनाम स्तोत्र की व्युत्पत्ति और इतिहास
ललिता सहस्रनाम ‘ब्रह्माण्ड पुराण’ से लिया गया है। ललिता सहस्त्रनाम को हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं…
पूर्व भाग | स्तोत्र | उत्तर भाग |
इसमें सहस्रनाम की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। | इसमें देवी माँ के 1000 नाम आते हैं। | इसमें सहस्रनाम पठन के लाभ बताए गए है। |
ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) का उल्लेख ब्रह्माण्ड पुराण के अंतर्गत ललिता उपाख्यान में किया गया है। हयग्रीव ऋषि ने अगस्त्य मुनि को उपदेश के रूप में ललिता सहस्रनाम दिया था।
2. देवी ललिता का स्वरूप कैसा है?
ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है, त्रिपुर सुंदरी शक्ति का ही एक स्वरूप हैं जिन्हें भगवान शिव की सुंदर पत्नी कहा जाता है और हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी के रूप में इनकी पूजा की जाती है। देवी ललिता को सौंदर्य की देवी, और संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति माना जाता है।

त्रिपुरासुंदरी (देवी ललिता) शांति, प्रेम, सौंदर्य और ज्ञान की प्रतीक हैं। उन्हें स्त्री ऊर्जा का सर्वोच्च स्वरूप माना जाता है और सौंदर्य, शक्ति और करुणा की प्रतिमूर्ति के रूप में भी पूजा जाता है और उन्हें ब्रह्मांड के निर्माण, पालन और संहार का स्रोत भी माना जाता है, जो कि अस्तित्व के संपूर्ण चक्र का प्रतीक होता हैं।
3. ललिता सहस्रनाम स्तोत्र (Lalitha Sahasranama) के लाभ
1. नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है ! |
2. मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति मिलती है ! |
3. घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है ! |
4. आध्यात्मिक उन्नति होती है ! |
5. विशेष रूप से स्त्रियों को देवी कृपा की प्राप्ति होती है ! |
4. ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) पाठ की विधि
प्रातःकाल स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करके, आसन पर बैठकर, एकाग्रचित्त होकर ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) का पाठ करना चाहिए, और यदि संभव हो, तो श्री चक्र के सामने बैठकर पाठ करना चाहिए क्योंकि श्री चक्र के सामने बैठकर पाठ करना विशेष फलदायक होता है।
5.ललिता सहस्रनाम का अर्थ
उत्त्पत्ति के अनुसार, ललिता का अर्थ है ”वह जो खेलती है”। वैसे मूल रूप में, ललिता शब्द का अर्थ है ‘सहज’ जिसका निहितार्थ ‘खेलना’ है। इसके एक हज़ार नामों में कभी-कभी शब्द-क्रीड़ा का भी उपयोग होता है। ललिता आत्मा की एक आनंददायक, सक्रिय और उज्ज्वल अभिव्यक्ति है।
- ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) को संस्कृत में लिखा गया है और यह ब्रह्माण्ड पुराण का एक हिस्सा है !
6. ललिता सहस्रनाम क्या है और इसकी भाषा में क्या विशेष है?

ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) में देवी का प्रत्येक नाम देवी के किसी न किसी गुण या विशेषता का वर्णन करता है। यह ललिताकाश है। अगर हम चंदन के पेड़ को याद भी करते हैं तो हम उसकी सुगंध की याद भी स्वतः ही हमारे मन में समा जाती है। जो आत्मा में स्थित होता है वह स्वतः ही हर्षित, उत्साह से परिपूर्ण और खिला हुआ होता है। मुक्त चेतना जिसमें कोई राग द्वेष नहीं होता है।
ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) में भाषा का सौंदर्य अद्भुत है। इसकी भाषा अत्यंत मनमोहक है तथा सामान्य एवं गूढ़ दोनों अर्थ मनोरम हैं। जिस प्रकार कमलनयन का अर्थ सुन्दर और पवित्र दृष्टि है उसी प्रकार कमल-नयन वाला व्यक्ति इस संसार में रहता है और सभी परिस्थितियों में इसकी सुंदरता और पवित्रता को देखता है।
- उदाहरण- कीचड़ में कमल खिलता है. फिर भी यह सुन्दर एवं पवित्र बना हुआ है।
7. ललिता सहस्रनाम जप की महिमा (The glory of chanting Lalita Sahasranama)
जब हम प्रत्येक नाम का जाप करते हैं तो वे गुण हमारी चेतना में जागृत होते हैं और जीवन में आवश्यकतानुसार प्रकट होते हैं। ललिता सहस्रनाम का जप अपने आप में एक पूजा पद्धति है। इस जप से हमारा चंचल मन शांत होता है। ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) के जप से हमारी चेतना की स्थिति में भी महान परिवर्तन होते हैं। इससे हमारा मन भगवान के एक स्वरूप और उनके गुणों पर केन्द्रित हो जाता है और भटकना बंद कर देता है।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:-
- यह मन को शुद्ध करता है।
- यह विश्राम का एक सामान्य रूप है।
- इससे हमें समझने की शक्ति मिलती है।
देवी भगवती के 1000 नामों का महत्व
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देवी ललिता के 1000 नाम, जिन्हें “ललिता सहस्रनाम” कहा जाता है, शक्ति, महिमा, करुणा, ज्ञान और सौंदर्य का एक अद्भुत स्रोत हैं। इन नामों के जाप से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह सहस्रनाम भक्तों के पापों को नष्ट करता है, भय को दूर करता है और उन्हें देवी माँ का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। यह स्तोत्र सम्पूर्ण ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी त्रिपुर सुन्दरी की स्तुति है। इसके नियमित पाठ से सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकाग्र मन से पाठ करें….
हमें जानना चाहिए कि हम इस धरती पर एक बहुत ही सुंदर और महान लक्ष्य के लिए आये हैं क्योंकि जब भक्ति और जागरूकता के साथ पाठ किया जाता है, तो ललिता हमारी चेतना में पवित्रता लाती है और हमें सकारात्मकता, और आनंद से भर देती है।

तो आइए हम खुश रहें और दुनिया के लिए खुशी का स्रोत बनें !
निष्कर्ष (Conclusion)
ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) स्तोत्र केवल एक भक्ति ग्रंथ नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। यह मां ललिता त्रिपुरसुंदरी की आराधना का सर्वोच्च माध्यम है। इसका नियमित पाठ जीवन को शुद्ध, शांतिपूर्ण और शक्तिशाली बनाता है क्योंकि ब्रह्माण्ड की अनेकों शक्तियों का रहस्य इसके प्रत्येक नाम में छिपा हुआ है।
ललिता सहस्रनाम (Lalitha Sahasranama) में हम देवी माँ के एक हजार नामों का जाप करते हैं। हर एक नाम का अपना महत्व होता है। नाम मंत्रों के रूप में देवी की विभिन्न विशेषताओं, उपलब्धियों और प्रतीकों का वर्णन करते हैं जिन्हें आमतौर पर भजन के रूप में गाया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न. 1: ललिता सहस्रनाम का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: प्रातःकाल या सांय काल के समय शांत और पवित्र वातावरण में इसका पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है।
प्रश्न. 2: क्या स्त्रियाँ मासिक धर्म में इसका पाठ कर सकती हैं?
उत्तर: आध्यात्मिक दृष्टि से यह विषय व्यक्तिगत आस्था पर आधारित होता है, लेकिन पारंपरिक रूप से वर्जित माना गया है।
प्रश्न. 3: क्या बिना संस्कृत ज्ञान के इसका पाठ किया जा सकता है?
उत्तर: यदि श्रद्धा हो और भावना शुद्ध हो तो कोई भी इसका पाठ कर सकता है। इसके साथ हिंदी अर्थ पढ़ना भी लाभकारी होता है।
प्रश्न. 4: क्या ललिता सहस्रनाम का पाठ करने से कोई विशेष वरदान मिलता है?
उत्तर: हाँ, माँ ललिता की कृपा से आयु, स्वास्थ्य, सौभाग्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
प्रश्न. 5: क्या यह स्तोत्र केवल स्त्रियाँ ही पढ़ सकती हैं?
उत्तर: नहीं, स्त्री-पुरुष दोनों इस स्तोत्र को पढ़ सकते हैं यह स्तोत्र सभी के लिए समान रूप से फलदायक है।
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