SMALL THOUGHTS
आज के ज़माने में शुभचिंतक ऐसे होते जा रहे हैं जो हमारा शुभ होते देखकर चिंतित हो जाते हैं ।
आज के ज़माने में शुभचिंतक ऐसे होते जा रहे हैं जो हमारा शुभ होते देखकर चिंतित हो जाते हैं ।
बिखरी हुई मिट्टी एक हो जाये तो ईंट बन जाती है, बिखरी हुई ईंटें इकट्ठी हो जाये तो दीवार बन जाती है और बिखरी हुई दीवारें आपस में जुड़ जायें …
आदमी साधनों से नहीं, साधना से श्रेष्ठ बनता है। आदमी भवनों से नहीं, भावना से श्रेष्ठ बनता है। आदमी उच्चारण से नहीं, उच्च आचरण से श्रेष्ठ बनता है। अतः आज …
दुनिया एक ही है लेकिन सबकी अलग- अलग है।
हम भूतकाल में जा के आरंभ को बदल नहीं सकते लेकिन हम जहां हैं वहां से एक नई शुरूआत कर अंत को बदल सकते हैं।