विद्या वही हैं, जिसे प्राप्त करके हम अपने आचरण में सम्मिलित कर सकें। तथा धन वही हैं जिसका आवश्यकता होने पर सदुपयोग किया जा सके।
विद्या वही हैं, जिसे प्राप्त करके हम अपने आचरण में सम्मिलित कर सकें। तथा धन वही हैं जिसका आवश्यकता होने पर सदुपयोग किया जा सके।